
दोनों आंखों से देख नही सकते विनोद राउत
कोरोना काल मे मुश्किलों से जूझ रहे दिव्यांगों के लिए बने मददगार
25 दिव्यांगों को दे रहे रोजगार
हौशलो में अगर जान हो, तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी उसके सामने दम तोड़ देती है। इस कहावत को एक बार फिर सही कर दिखाया है, विनोद राउत ने जो खुद आंखों से देख नही सकते,लेकिन कोरोना काल मे लोगो को आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हुए है। उनके इस कार्य की चौतरफा प्रशंशा हो रही है।कोरोना के संक्रमण की वजह से लोगों को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। दिव्यांगजन भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। एक समय खुद काम की तलाश में संघर्ष करते दिव्यांग विनोद राउत ने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया और दूसरे लोगों का सहारा बन गए। आज वह करीब 25 दिव्यांगों को रोजगार दे रहे हैं। जिनमे ज्यादातर दिव्यांग महिला है।
कोरोना ने रोजगार छीना, लेकिन नही हारी हिम्मत
कोरोना के संक्रमण के फैलने से पहले वह अपनी संस्था के माध्यम से लोगो को खाने का डिब्बा दिया करते थे। जिसमे कई दिव्यांगों को रोजगार मिलता था। कोरोना का खतरा बढ़ने के बाद उनका रोजाना जाने वाला खाने का डिब्बा बंद हो गया। जिसके बाद उन दिव्यांगजनो पर आर्थिक संकट मंडराने लगा।लेकिन विनोद राउत ने हार नही मानी और दिव्यांगों को मोमबत्ती, अगरबत्ती बनाने के लिए प्रोत्साहित कर प्रक्षिक्षण दिलवाया।जिससे आज 25 दिव्यांगों को रोजगार मिल रहा है। और इससे होने वाली आय से कुछ दिव्यांगजन तो बाकायदा अपने परिवार की जिम्मेदारी भी उठा रहे है।
मन से निकाल दे बेचारगी
विनोद राउत पिछले कई वर्षों से दिव्यांगजनों के हितों में कार्य कर रहे है। उन्होंने वंदे मातरम अंध अपंग सेवाभावी नामक एक संस्था बनाई है। संस्था के इस समय करीब 700 सदस्य है। राउत कहते है, कि दिव्यांगता मन से होती है। अगर मन से खुद के दिव्यांग होने की बेचारगी का भाव निकाल दें तो एक दिव्यांग भी अमूमन वह सब कुछ कर सकता है, जो एक सामान्य व्यक्ति। राहत का कहना है,कि 100 और दिव्यांगों ने उनसे रोजगार की मांग की है। प्रयास है, कि हजारो दिव्यांगजनो को प्रक्षिक्षण दिलवाया जाए। जिससे वह खुद का रोजगार कर कर सके। राउत को उनके उल्लेखनीय कार्यो के लिए अब तक कई बार सम्मानित किया गया है।
ढाई किमी रोजाना चलते है, पैदल
विनोद राउत के सामने कठिनाइयां तो कई आई लेकिन उन्होंने हिम्मत नही हारी। पालघर के दातिवरी इलाके में रहते है। और रोजाना सफाले सेंटर तक आने के लिए करीब ढाई किमी पैदल चलते है। उनका कहना है, कि दिव्यांगजनो को बिना आत्मनिर्भर बनाये उनकी समस्याएं खत्म नही होगी।
दिव्यांगजनो को दिया रोजगार,बसाया घर
विनोद राउत ने अब तक 32 दिव्यांगजनो का घर बसा कर उन्हें रोजगार दे रहे है। जिससे आज उन लोगो की घर गृहस्थी एक सामान्य इंसान की तरह चल रही है। उनका कहना है, कि वह आंखों से भले ही नही देख सकते लेकिन मन की आंखों से लोगो के कष्ट नही देख सकते।
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