
मनरेगा में महाराष्ट्र से जुड़ी एक और बड़ी उपलब्धि
राज्य में पहला प्रयोग
महाविकास आघाड़ी सरकार मजदूरों को काम के साथ अब खाना भी दे रही
मनरेगा में रोजगार देने में राज्य भर में अव्वल आने के बाद पालघर से मनरेगा मजदूरों को मध्यान्ह भोजन दिए जाने की शुरुआत
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) कार्यों में पालघर जिला आदिवासी मजदूरों को रोजगार देने में सबसे आगे है। तो वही अब जिले से राज्य सरकार ने एक और बड़ी कल्याणकारी योजना की शुरुआत कर दी है। गुरुवार से पालघर के विक्रमगढ़ तहसील से मनरेगा मजदूरों को मध्यान्ह भोजन दिए जाने की शुरुवात कर दी गई है। जिससे इन इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को बड़ी राहत मिली है। मनरेगा के उपजिलाधिकारी सुरेंद्र नवले ने कहा कि मजदूरों के हित मे इस योजना की शुरुवात विक्रमगढ़ के अलोंडा और उतावली की दो ग्राम पंचायतों में करीब 1100 श्रमिकों के लिए मध्याह्न भोजन योजना शुरू की गई है। यह राज्य में मनरेगा मजदूरों को भोजन देने का यह पहला प्रयोग बताया जा रहा है।
श्रम विभाग ने की पहल
राज्य के श्रम विभाग ने यह पहल की है। लेबर विभाग के डिप्टी कमिश्नर किशोर दहिफले ने कहा कि महाराष्ट्र इमारत व अन्य निर्माण कामगार कल्याणकारी मंडल की ओर से पंजीकृत मनरेगा के तहत मजदूरों को अलोंडा के गुनगुनपाङा से मध्यान्ह भोजन दिए जाने की शुरुवात की गई। अभी इसका फायदा लोक निर्माण विभाग के जारी कार्यो में लगे मजदूरों को दिया जा रहा है।
पूरे राज्य में अव्वल
पालघर जिले का मनरेगा योजना में पिछले कुछ वर्षों से उत्कृष्ट प्रदर्शन लगातार जारी है। 2021-22 में राज्य में मनरेगा के तहत आदिवासियों को रोजगार दिलाने के मामले में पालघर पहले स्थान पर रहा । लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पालघर में मनरेगा से जुडे कार्यों में बड़ी संख्या में रोजगार श्रृजन हुआ और आदिवासी क्षेत्रों के ग्रामीण कामगारों को इससे जोड़ा गया। मनरेगा से स्थानीय स्तर पर बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध मिल रहा है। मनरेगा के तहत कम से कम 59,770 परिवारों को कुल 16,46,211 दिन का काम दिया गया। एनजीओ के साथ मिलकर आदिवासियों में इसके लिए जागरूकता का अभियान भी चलाया जा रहा है। जिससे रोजगार के लिए पलायन करने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है।
रुकेगा लोगों का पलायन
रोजगार गारंटी योजना के तहत लोक निर्माण विभाग के कार्यो में लगे श्रमिकों को कार्यस्थल पर भोजन भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। जिससे मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले श्रमिकों की संख्या में भी वृद्धि होगी और लोगों के पलायन को भी रोकने में मदद मिलेगी। मध्यान भोजन मिलने से पति-पत्नी दोनों काम पर आ सकते है। जिससे निश्चित रूप से कुपोषण और बाल मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलेगी।
माणिक गुरसल-जिलाधिकारी पालघर
मजदूरी के लिए भटकना हुआ बंद
पहले मजदूरी के लिए दर-दर भटकना पड़ता था। और काम भी रोजाना नही मिलता था। अब मनरेगा में काम भी मिल रहा है। और मध्यान्ह भोजन भी मिल रहा है। जिससे जिससे बड़ी राहत मिल रही है।
प्रमिला नीमले-श्रमिक मनरेगा
भोजन और काम दोनों मिले
भोजन और काम दोनों एक जगह पर मिल रहे है। जिससे जीवन मे बड़ा बदलाव महसूस हो रहा है। पहले घर में भोजन बनाने में काफी समय निकल जाता था। दोपहर के काम से मुक्ति मिलने से कई पति-पत्नी दोनों काम पर आ रहे जिससे परिवार की आय बढ़ेगी।
सीताराम कोरडा-श्रमिक मनरेगा
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